Posted inGhazal/Nazm चाँद से सूरज से Posted by Bhuppi Raja January 8, 2001No Comments चाँद से सूरज से चाँद से सूरज से जिससे भी यारी रखिएबस इस दिल में थोड़ी जगह हमारी रखिए जानते हैं हम कि गुल किन किताबों में हैंआप तो बस अपनी तफ़्तीश जारी रखिए मुफ़लिसी में जेबें भी फट जाया करती हैंआप इनमें कभी थोड़ी रेज़गारी तो रखिए समझा नहीं सकते हमें अपनी दलीलों सेआप तो बस अपनी तक़रीर जारी रखिए आईने के सामने हमसे ही करोगे बातेंइन सुरमई आँखों में तस्वीर हमारी रखिए बेख़ुदी में क्या मज़ा है तुम जान जाओगेआप अपने दिल में थोड़ी बेक़रारी रखिए ख़ुशबू साँसों में होगी, महक फ़िज़ाओं मेंआप अपने दिल में धड़कन हमारी रखिए सब शिकवे भुला कर तुम्हें गले लगा लेंगे इस ईद आप अपने घर इफ़्तारी रखिएG020 Post navigation Previous Post तेरे क़दमों मेंNext Postहर चमन में