परछाइयों के पीछे भागने से चाँद तो बाहों में नहीं पाया जा सकता! उसके लिए चाँद की ओर मुंह करके दोनों हाथ फैलाकर आत्मीय निगाहों से उसे एकटक निहारते हुए मन की ऊँची उड़ान भरनी पड़ती है तभी कुछ अपने अन्दर दिल के रास्ते आत्मा की अथाह गहराइयों में उतरता हुआ महसूस किया जा सकता है और चाँद बाहों में पाया जा सकता है न कि परछाइयों के पीछे भागने से…