बहुत हैं दुनिया में लोग दर्द बढ़ाने वाले
हमसे कहाँ मिलेंगे मरहम लगाने वाले
लगाते हैं लोग रोज़ दर्दों की नुमाइश
हमसे कहाँ मिलेंगे दर्द छुपाने वाले
मतलब के ये लोग हैं चार दिन के साथी
हमसे कहाँ मिलेंगे उम्र भर निभाने वाले
मगरमच्छ के आँसुओं की नदियाँ बहाएँगे
सैलाब ले आएँगे कश्ती डुबाने वाले
ख़ुशियाँ छीन लेंगे झूठे सपने बेचकर
नीलाम कर देंगे अपना दिखाने वाले
दौलत की इंतहा है, भूख और बे-रहम लोग
कफ़न भी बेच डालें, क़ब्र बनाने वाले
बढ़ा देंगे दर्द तुम्हारा, माज़ी कुरेदकर
कभी न बख़्शेंगे ये कमबख़्त ज़माने वाले
पत्थर की दुनिया है ‘राजा’,शीशे का तेरा दिल
हर मोड़ पे मिलेंगे पत्थर चलाने वाले
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