बहुत हैं दुनिया में

बहुत हैं दुनिया में

बहुत है दुनियां मे लोग, दर्द बढ़ाने वाले 
हमसे कहां मिलेंगे, मरहम लगाने वाले 
 
लगाते है लोग रोज, दर्दो की नुमाइश
हमसे कहां मिलेंगे, दर्द छुपाने वाले
 
मतलब के ये लोग है, चार दिन के साथी  
हमसे कहां मिलेंगे, ताउम्र निभान वाले 
 
मगरमच्छी आंसू लोग, इतने बहाएंगे
सैलाब ले आएंगे, कश्ती डुबाने वाले 
 
खुशियाँ छीन लेगे, तुम्हें सपने बेचकर 
लीलाम कर देगे, अपना दिखाने वाले 
 
दौलत की इंतहा भूख, और बेरहम लोग  
कफन तक बेच डालेंगे, क़ब्र बनाने वाले 
 
बढ़ा देंगे ये दर्द, तुम्हारा, माज़ी कुरेदकर
किसी को न बख्शेंगे, कमबख्त ज़माने वाले 
 
पत्थर की दुनियां ‘राजे’, शीशे का तेरा दिल 
हर शहर में मिलेंगे, पत्थर चलाने वाले 

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