Posted inKavita Short Poem प्रतिबिम्ब Posted by Bhuppi Raja September 26, 2024No Comments जब कभी भीतुम्हारी आँखों मेंमैं अपना प्रतिबिम्ब देखता हूँपहचानने की कोशिश करता हूँक्या ये मेरा ही है लेकिन मैंकोशिश ही करता रहता हूँऔर वहअपना आकार बदल देता है कोशिशेंएक बार फिरनाकामयाब हो जाती हैऔर मैं बेबस, लाचार तुम एक मूक दर्शक की भांतिमेरी इस बेबसी परमुस्कुरा भर देती हो और मैंजुट जाता हूँएक बार फिरअपना प्रतिबिम्ब पहचानने… Visitors: 41 Post navigation Previous Post सत्यNext Postचाँद