हर त्यौहार को अब कुछ यूं मनाया जाए
किसी गरीब के घर का चूल्हा जलाया जाए
ज़िन्दगी हमारी रोशनी से भर जाएगी
उसके दर इक दिया जलाया जाए
सदियों से उदास चेहरे फिर खिल उठेंगे
हर दर को अपनी दुआओं से सजाया जाए
भर जायेंगे ज़िन्दगी में सब रंग तुम्हारे
थोड़ा प्यार का रंग चेहरे पे लगाया जाए
ज़िन्दगी तुम्हारी खुशनुमा हो जाएगी
हर आंगन को फूलों से सजाया जाए
ना उम्मीदों की हौसला-अफजाई की जाए
उन दिलो में उम्मीद-ए-चिराग जगाया जाए
अपने तो अपने हैं, गैर भी अपने हो जाए
हर रिश्ते को बड़ी शिद्द्त से निभाया जाए
अंधेरों में डूबी इन वीरान बस्तियों में
इक दीया खुशिओं का भी जलाया जाए
रंजिशें सब जहाँ से फ़ना हो जाएगी
नफरतों को मोहब्बत से मिटाया जाए
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