नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए हाए

पिया घर न आए हाए…

 

कल तक जो मेरा संगी था
आज दूर हो जाए हाए…

 

इस सावन मैं ऐसे तड़पी
जल बिन मछली माए हाए…

 

जब से पिया परदेस गयो है
कोयो रंग न भाए हाए…

 

दिल मेरा रब पत्थर कर दे
क्यों इस को धड़काए हाए…

 

पल पल क्यों ऐसे लगता है
अब कुण्डी खड़काए हाए…

 

दिल पागल कैसे समझाऊं…
गया लौट न आए हाए…

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