तूने मुझे एक बार तो आजमाया होता
तेरी आँखों में मेरा प्यार तो आया होता
काट लेता ये ज़िन्दगी तेरी यादों के सहारे
तू कभी तसव्वुर में तो आया होता
लहू अपना मैं बिखेर देता आसमानों पर
तूने क़ासिद से पैगाम तो भिजवाया होता
उम्र भर कांटो पे चल कर तुझे ही ढूंढ़ता
कभी मिलेंगे भरोसा तो दिलाया होता
तेरे हर अल्फाज पे यकीं मुझको होता
तूने कभी कोई वादा तो निभाया होता
हमारे सीनों में कुछ और ही रूह धड़कती
तूने अपना हाथ तो बढ़ाया होता
*क़ासिद- संदेशा ले जानेवाला पत्रवाहक।
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