अभी हममे हिम्मत हमारी बाकी है
कसक बाकी है बेक़रारी बाकी है
क्यूँ न तड़पे मन यारा से मिलने को
अभी भी उनकी इंतजारी बाकी है
भटकता हूँ मैं बेवजह बेख़याली में
अभी भी हममे इश्क ए-ख़ुमारी बाकी है
क्यूँ शर्मा के वो पर्दानशी हो गये
अभी भी उनमे शर्मसारी बाकी है
निगाहों से उनकी कितने कत्ल हो गए
अभी भी उनपे फौजदारी बाकी है
फिद़ा हूँ तेरे हुस्न पर मजबूर हूँ
अभी भी अपनी ब्रहमचारी बाक़ी है
तुम उमर दराज़ हो गए तो क्या हुआ
जवां दिलो में अभी चिंगारी बाकी है
ज़िन्दगी की जंग अभी तक हारे नहीं
अभी गर्म सांसे हमारी बाकी है
दो चार घूंट ज़िन्दगी तेरे पिए तो क्या
बोतल में सारी आब अभी बाकी है
नतीजे ज़िन्दगी तेरे निकले नहीं
अभी भी अपनी उम्मीदवारी बाकी है
मौसम फ़िज़ा का कभी तो बदलेगा
अभी पहाडों पे बर्फ़बारी बाकी है
बहकाने की कोशिश ना कर तू ज़िन्दगी
अभी भी हममें समझदारी बाकी है
हर बेरुख़ी का हिसाब तुझे चुकाना है
अभी भी तेरी जवाबदारी बाकी है
क्यूँ धोख़े में हम आए तेरे बार-बार
अभी भी हममे होशयारी बाकी है
कब तक छूटेगा सुर कभी तो लगेगा
अभी भी अपनी संगीतकारी बाकी है
हर शाही सफ़ा ज़िन्दगी तुझे सुनाना है
अभी भी अपना राग दरबारी बाकी है
बहुत कर्ज ज़िन्दगी तेरे चुकता किए
अभी भी थोड़ी देनदारी बाकी है
मुफ़लिसी में जिए मगर मांगा नहीं
अभी भी हममे खुद्दारी बाकी है
तूने दर्द दिए हैं तो दवा भी तू देगी
अभी भी तेरी वफादारी बाकी है
मेरी मानी है हर बात तूने आजतक
अभी भी तेरी फ़रमाँ गुज़ारी बाकी है
तुझको आज भी सांचे मे डाल सकता हूँ
अभी भी हममे हस्तकारी बाकी है
वादा किया है तुझसे तो निभाएंगे ही
अभी भी तेरी तरफदारी बाकी है
अभी भी हुक्म अपना तुझपे चलता है
अभी भी ‘राजा’ की सरदारी बाकी है
*पर्दानशी- ढंकना
*फौजदारी- मार-पीट हत्या आदि से संबंध रखनेवाला (जैसे—फ़ौजदारी अदालत)।
*मुफ़लिसी- ग़रीबी निर्धनता।
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