Posted inGhazal/Nazm यक़ीं आता नहीं Posted by Bhuppi Raja March 16, 2001No Comments यक़ीं आता नहीं यक़ीं आता नहीं अब तेरी बेगुनाही मेंबहुत धोखे खाए हैं हमने आशनाई में हर गुनाह तुम्हारा मैं अपने नाम ले लूंयही तो कहते रहे तुम मेरी रिहाई में काटता हूँ सज़ा मैं तेरे हर गुनाह कीहोता नहीं दर्द तुझे मेरी बेगुनाही में क़त्ल करके तुम साफ़ बच निकलते होमिटा देते हो सब सबूत बड़ी सफाई में चाहे कुबेर बना लो बेगुनाहों के ख़ून सेकभी बरकत होती नहीं ऐसी कमाई में इतने गुनाह करके भी मासूम दिखते होकैसे जी लेते हो तुम इतनी बेहयाई में मिलता है सिला सबको हर किए कर्म काताक़त बहुत है ‘राजा’ रब की ख़ुदाई मेंG073 Post navigation Previous Post तुम जैसा कोई Next Postमेरी चाहत