मेरे प्यार ने
मेरे प्यार के
मिलने से पहले
कुछ प्यारे सपने संजोए थे
कुछ प्यारी इच्छाएं
अपने दिल में छुपा रखी थी
जो हादसों का शिकार हो गई
मेरे प्यार की पहली इच्छा
मेरे प्यार ने मेरे प्यार से
एक नवजात प्यार की
तमन्ना की थी
लेकिन मेरा प्यार बूढ़ा निकला
जिसके चेहरे पर
गुनाहों के गहरे दाग थे
जिसे मेरे प्यार ने
अपने आँसुओं कि बरसात करके धो दिया
मेरा प्यार अपनी बेवफाई पर शर्मिंदा हुआ
तभी हमें एक उपजाऊ जमीन मिली…
मेरे प्यार की दूसरी इच्छा
मेरे प्यार ने मेरे प्यार से
एक हंसते मुस्कुराते
निश्चिंत प्यार की तमन्ना की थी
लेकिन उसके हाथ जल गए
बुझे हुए शोलों की ठंडी राख से
जो जमाने के तेज़ झोंकों में
अपना अस्तित्व बनाए रखने की कोशिश में
आँधियों से लड़ रही थी
मेरे प्यार ने अपने प्यार की बरसात करके
उसे बिखरने से बचा लिया
मेरा प्यार फिर अपनी बेवफाई पर शर्मिंदा हुआ
तभी उपजाऊ जमीन में एक बीज पड़ा…
मेरे प्यार की तीसरी इच्छा
मेरे प्यार ने
मेरे प्यार से
दुनिया की शोरो महफिलों से दूर
एक सीधे-साधे प्यार की तमन्ना की थी
लेकिन मेरे प्यार के पांव फिर लड़खड़ा गए
उसकी हालत
उस हारे हुए जुआरी सी हो गई
जो सर झुकाए
आँखें जमीन पर गड़ाए
उसके आगे शर्मिंदा खड़ा हो
जिसे वह जुए में हार चुका हो
मेरे प्यार की मेहरबानी
उसके अपनी कुछ इच्छाएं बेचकर
मेरे प्यार को छुड़ा लिया
और उसे धृतराष्ट्र के भरे दरबार में
दुर्योधन के हाथों
निर्वस्त्र होने से बचा लिया
मेरा प्यार अपनी बेवफाई पर फिर शर्मिंदा हुआ
तभी बीज अंकुर बन फूटा…
मेरे प्यार की
फिर एक और इच्छा का कत्ल
अंकुर पौधा बन गया
मेरे प्यार की इच्छा दर इच्छा
कत्ल होती गई
पौधा बड़ा होता गया
उस पर नई-नई शाखाएं फूटी
उस पर नाजुक पत्तियां आयी
पौधा और बड़ा होता गया
पौधा पेड़ बन गया
पेड़ अब फल के इंतज़ार में है…