नींद से जागो तो कुछ ख्व़ाब दिखाएं
देखो आसमाँ संग तो महताब दिखाएं
ये वो सफ़े है जो दूरीयों से नहीं पढ़े जाते
थोड़ा क़रीब तो आओ की किताब दिखाएं
ज़िन्दगी के अंधेरे सब उजाले हो जाएंगे
इक दिया तो जलाओ की आफताब दिखाएं
आईने से तुम खुद से ये क्या पूछते हो
नज़रें हमसे तो मिलाओ की जवाब दिखाएं
ये चाँद सितारे सब मदहोश हो जाएंगे
रुख़ से हिज़ाब तो हटाओ कि शबाब दिखाएं
हम भी चिनाब में डूबने का हुनर रखते है
कच्चा घड़ा तो लाओ की सोहराब दिखाएं
जमीं-आसमाँ दोनों एक कर देंगे
इक आंसू भी गर बहाओ तो सैलाब दिखाएं
कितना चाहते हैं हम तुम्हे दिखला देगें
बस इक बार कहो तो ‘राजा’ जनाब दिखाएं
आफ़ताब-चाँद, चाँदनी
सोहराब-होंसला
आफ़ताब-सूरज
सैलाब-जलजला, बाढ़
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