Posted inKavita नया रिश्ता Posted by Bhuppi Raja January 20, 2005No Comments नया रिश्ता मेरा चेहरा प्यार सेभर दिया आपनेरोम-रोम में मीठा चुम्बनजड़ दिया आपनेइस नये रिश्ते कोक्या नाम दूँ मैंहर पुराना नामबेनाम कर दिया आपने पिघल गये आँखो के मोतीआँसुंओं में ढलकरराख हो गये झूठे नकाबप्यार मे जलकरइस बेवफा दिल में अबकुछ भी छिपा नहींअपना पोर-पोर खोल केसामने रख दिया आपने नहीं जानता मैंक्यों ख़फ़ा रहते थेशायद जन्मों के बिछोड़े कागिला करते थे हमआत्मा तो अपनीकभी जुदा ही ना थीदो जिस्मों को भी एककर दिया आपने…K010 ग़ज़ल/ नज़्म दोहे कोट्स Post navigation Previous Post अमर मंथनNext Postचाँद