Posted inKavita मुझे अपना जिस्म Posted by Bhuppi Raja January 10, 2005No Comments मुझे अपना जिस्म मुझे अपना जिस्म बनालोअपने जिस्म का हर निशाँमेरे जिस्म पर बना दो मुझे अपना आईना बनाआँखों में बसालोगर बन नहीं सकतातुम्हारा अक्समुझे अपनी धड़कन बनासीने में छुपा लो गर बन नहीं सकतातुम्हारी धड़कनतो मुझे अपनी परछायी बनाकदमों में बिछा दो गर बन नहीं सकतातुम्हारी ज़िंदगी काकोई पहलूतुम मुझे जीने कीवज़ह बता दो…K032 ग़ज़ल/ नज़्म दोहे कोट्स Post navigation Previous Post आत्मसाक्षात्कारNext Postज़िन्दगी