मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म बनालो
अपने जिस्म का हर निशाँ
मेरे जिस्म पर बना दो

 

मुझे अपना आईना बना
आँखों में बसालो
गर बन नहीं सकता
तुम्हारा अक्स
मुझे अपनी धड़कन बना
सीने में छुपा लो

 

गर बन नहीं सकता
तुम्हारी धड़कन
तो मुझे अपनी परछायी बना
कदमों में बिछा दो

 

गर बन नहीं सकता
तुम्हारी ज़िंदगी का
कोई पहलू
तुम मुझे जीने की
वज़ह बता दो…

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