कौन  कहता  है

कौन  कहता  है

कौन कहता है की वो प्यार नहीं करते

प्यार तो करते हैं इज़हार नहीं करते

 

जानते हैं हम की वो भी हमें चाहते हैं

बस प्यार जताकर बेक़रार नहीं करते

 

इश्क़ का हमारे जो भी नतीजा निकले

पर्चे इम्तिहानों के तैयार नहीं करते

 

सपने सहेजे हैं मगर ईमान से

सपनों का हम व्यापार नहीं करते

 

इश्क़ मुकम्मल नहीं गर डूबना न आया

दरिया इश्क़ का तैरकर पार नहीं करते

 

रोज़ कहते हो तुम के हम कल मिलेंगे

इतना भी किसी का इंतजार नहीं करते

 

जानते हैं हम कि अपने ही दगा देते

क्यूँ अनजानों पे एतबार नहीं करते

 

तुमसे है मुहब्बत मेरा एतबार करो

रब की इनायत है इन्कार नहीं करते

 

कितने भी करले सितम ज़माना हमपे  

नाम लेकर तेरा शर्मसार नहीं करते

 

अजब ही सिलसिला है मेरे प्यार का यारों

प्यार तो करते हैं सरे बाजार नहीं करते

 

अब दो इज़हार-ए मोहब्बत कर ही दो

आशिक बारिशों का इन्तज़ार नहीं करते

 

हम भी किसी रियासत के ‘राजा’ हो जाते

हम बेगुनाहों पे कभी वार नहीं करते

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