Posted inGhazal/Nazm हमने इक शाम Posted by Bhuppi Raja January 6, 2001No Comments हमने इक शाम हमने इक शाम सुर्ख फूलों से सजायी हैऔर तुमने ना आने की कसम खायी है दुआ होगी कबूल मेरी ये जानता हूँ मैंहमने इक शमा तेरे दर पे जलायी है जलेगा उम्मीदें चिराग मेरे भुझने तकहमने ये शर्त आँधियों से लगाई है बुतपरस्ती का इलज़ाम लगाते है लोगहमने तेरी मूरत इस दिल में बसायी है समुन्दर कई पीयें पर मन प्यासा ही रहाहमने ये प्यास अंगारों संग बुझायी है जाते हुए उस दिन तेरा मुड़ के देखनातूने इक उम्मीद इस दिल मैं जगायी है ये मेरा दिल हैं या कोई बंद तहखनाहमने तेरी हर बात दिल में छुपाई है तू मेरा दोस्त है हमदर्द है या हमसाया‘राजा’ ने इस दिल में तेरी हर जगह बनायी हैG018 Post navigation Previous Post कुछ गम नहींNext Postतेरे क़दमों में