घर की दीवारें, Best hindi poetry, best kavitayen in hindi, best shayari in hindi, love quotes, sayari in hindi, love shayari, inspirational quotes, sad shayari, positive good morning quotes, thought for the day, shayari dosti, romantic shayari, broken heart shayari hindi, beautiful lines, short positive quotes, inspiration of life quotes

घर की दीवारें

जब घर की दीवारों में
जंगल उग जाते हैं
तब वो घर, घर नहीं रहते
खंडहर कहलाते हैं
चाहे उसमें
लोग ही क्यों न रहते हो

 

कुछ जंगल ऐसे होते हैं
जो हमें घर नजर आते हैं
या जिन्हें हम
घर के कपड़े पहना देते हैं
क्यूँकि हम
रहना तो घर में चाहते हैं
लेकिन जंगल का कानून चलाते हैं

 

हम चाहते हैं
हमारे जंगल, घर नजर आए
लेकिन हम भूल जाते हैं
की जंगल जब घना हो जाता है
तब उसके पेड़ों की ऊंचाई
बेतहाशा बढ़ने लगती है
और वह
घर की दीवारों को तोड़ती हुई
छत फाड़ कर बाहर निकल आती है
तब घर का जंगल
दुनिया जहाँ के सामने आ जाता है
फिर दुनिया वाले मिलकर उसे
खाद, पानी और हवा देते हैं

 

जंगल घना और घना होता जाता है
जिसमें जमीन पर रहने वालों के लिए
कोई जगह नहीं बचती
जमीन पर रहने वालों के जिस्म
जंगली कांटों से लहूलुहान हो जाते हैं
तब हम पेड़ पर रहने लगते हैं
लेकिन हमारी परछाई से भी
पेड़ सूख जाता है
हम घर से बेघर हो जाते हैं
घर पूर्णतया जंगल बन जाता है
हार कर हम
एक नया घर बनाने के लिए
गीदड़ बन
शहर की ओर भागते हैं
लेकिन
हमें मिलती है
गीदड़ की मौत…

K008

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *