नया रिश्ता

नया रिश्ता

मेरा चेहरा प्यार से
भर दिया आपने
रोम-रोम में मीठा चुम्बन
जड़ दिया आपने
इस नये रिश्ते को
क्या नाम दूँ मैं
हर पुराना नाम
बेनाम कर दिया आपने

 

पिघल गये आँखो के मोती
आँसुंओं में ढलकर
राख हो गये झूठे नकाब
प्यार मे जलकर
इस बेवफा दिल में अब
कुछ भी छिपा नहीं
अपना पोर-पोर खोल के
सामने रख दिया आपने

 

नहीं जानता मैं
क्यों ख़फ़ा रहते थे
शायद जन्मों के बिछोड़े का
गिला करते थे हम
आत्मा तो अपनी
कभी जुदा ही ना थी
दो जिस्मों को भी एक
कर दिया आपने…

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