दोहे (भाग-1) दया धर्म का मूल है-1 दया धर्म का मूल है, करुणा दियो जगाए,जिस मन करुणा नहीं, निरा ठूठ रह जाए… Visitors: 38 दया धर्म का मूल है-2 दया धर्म का मूल है, करुणा दियो जगाए,जिस मन करुणा भही, धर्मवान बन जाए… Visitors: 47 राग-द्वेष भय एक है राग-द्वेष भय एक है, सब जग लेयो फसाएसमता मन कीजिये, जीवन सरल हो जाए… Visitors: 35 अंदर तेरे राम है अंदर तेरे राम है, तुझको नजर ना आएमन की गांठे खोल दे, जग रोशन हो जाए… Visitors: 34 बाहर अंदर एक है बाहर अंदर एक है, जान सके तो जानकण-कण मे जब रब दिखे, होए बौद्ध ज्ञान… Visitors: 35 मैं मैं करता जग मुआ मैं मैं करता जग मुआ, मैं ना जाणयो कोएजब मैं जानत भयो, जगत तमाशा होए… Visitors: 37 कर्म कांड बहुतो किये कर्म कांड बहुतो किये, कोइनो काम ना आएमन की गांठे खोल दे, धर्म मार्ग मिल जाए… Visitors: 34 तिनका तिनका जोड़ के तिनका तिनका जोड़ के गठरिया कई बनाईसभी छोड़ के चल दिये, जीवन व्यर्थ गवाई… Visitors: 36 चंचल मन बालक भयो चंचल मन बालक भयो, बहुतो नाच नचाएजब मन समता भही, अटल ध्रुव हो जाए… Visitors: 39 जो कल था अब है नहीं जो कल था अब है नहीं, जो अब है कल नाहीं सब जग नश्वर भयो, चिंता करे तू काही… Visitors: 63 ज्ञानी ध्यानी बहुतो मिले Visitors: 26 ज्ञानी उसको आखिए Visitors: 26 भगवा चोला पहन के Visitors: 25 धर्म हमारा एक है Visitors: 29 कुदरत का कानून है Visitors: 29 मेरा-मेरा बहु किया Visitors: 5 चार किताबें पढ़के तुम Visitors: 27 मन मोरा बोह लालची-1 Visitors: 9 मन मोरा बोह लालची-2 Visitors: 9 Visitors: 44